भारतीय शिक्षा प्रणाली: एक पुनरावलोकन


परिचय:
शिक्षा केवल डिग्री या परीक्षा पास करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक समाज को दिशा देने वाला सबसे महत्वपूर्ण साधन है। भारत की शिक्षा प्रणाली ने समय के साथ कई रूप बदले हैं — गुरुकुल से लेकर स्मार्ट क्लास तक। इस लेख में हम समझेंगे कि भारतीय शिक्षा कहाँ से शुरू हुई, कैसी बदली, और आज किस मोड़ पर है।

🔹 1. प्राचीन शिक्षा प्रणाली:

भारत की शिक्षा का प्रारंभ वैदिक काल से हुआ। उस समय गुरुकुल व्यवस्था थी जहाँ विद्यार्थी आचार्य के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करते थे। तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान के केंद्र थे, जहाँ देश-विदेश से विद्यार्थी पढ़ने आते थे।

🔹 2. मध्यकालीन शिक्षा:

मध्यकाल में शिक्षा पर धार्मिक प्रभाव बढ़ा। इस्लामिक शासन के दौरान मदरसे प्रमुख बने, जहाँ अरबी, फारसी और इस्लामी ज्ञान की पढ़ाई होती थी। शिक्षा का उद्देश्य धार्मिक और प्रशासनिक सेवा बन गया।

🔹 3. ब्रिटिश कालीन शिक्षा:

अंग्रेजों के आगमन के बाद भारतीय शिक्षा में बड़ा परिवर्तन आया। लॉर्ड मैकॉले की नीति के तहत अंग्रेज़ी शिक्षा को बढ़ावा मिला, जिससे भारतीयों को क्लर्क और अधिकारी बनाने पर ज़ोर दिया गया। भारतीय भाषाओं को पीछे कर दिया गया।

🔹 4. आज की शिक्षा प्रणाली:

आज भारत में शिक्षा डिजिटल होती जा रही है — ऑनलाइन क्लास, स्मार्ट बोर्ड, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 जैसे कदम उठाए गए हैं। अब ज़रूरत है कि हम ज्ञान आधारित, कौशल आधारित और चरित्र निर्माण पर ध्यान दें।

✅ निष्कर्ष:

भारतीय शिक्षा प्रणाली का सफर गौरवशाली रहा है, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं। हमें ऐसी शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिए जो विद्यार्थी को सिर्फ परीक्षा पास कराने की मशीन न बनाए, बल्कि एक जागरूक, संवेदनशील और योग्य नागरिक बनाए।

📌 सुझाव (Optional)
> "आपके अनुसार आज की शिक्षा प्रणाली में सबसे बड़ी कमी क्या है? कमेंट करके बताएं।"

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