धर्म: विभाजन की दीवार या एकता का पुल?
🕊️ धर्म: विभाजन की दीवार या एकता का पुल?
परिचय:
आज के समय में “धर्म” शब्द सुनते ही लोगों के मन में कई प्रकार की भावनाएँ जाग उठती हैं — आस्था, डर, गर्व, या कभी-कभी क्रोध। पर क्या वाकई धर्म किसी समाज को तोड़ता है? या यह एक ऐसा मार्गदर्शक है जो हमें सही रास्ते पर चलना सिखाता है?
🌸 सच्चे धर्म की पहचान
हर धर्म का मूल उद्देश्य एक ही है — मानवता की सेवा, आत्मा की शुद्धि और समाज में शांति।
हिंदू धर्म कहता है — "अतिथि देवो भवः", यानी अतिथि में भगवान का वास है।
बौद्ध धर्म ध्यान, करुणा और जातिवाद से ऊपर उठने की बात करता है।
जैन धर्म सिखाता है — "अहिंसा परम धर्मः", यानी जीवों को न मारना ही सबसे बड़ा धर्म है।
इस्लाम कहता है — सच बोलो, संयम रखो और बुराइयों से दूर रहो।
हर धर्म हमें सिखाता है कि दूसरों का सम्मान करो, अपने कर्म अच्छे रखो और विनम्र रहो।तो आप बताईए कि जो लोग सही से धर्म का पालन करे वे लोग कैसे बुरे हो सकते है । आज के समय लोग अपने धर्म को खुद ही नहीं जानते। जिससे वे दूसरे धर्म का विरोध करते है । किसी भी धर्म में ये नही लिखा की दूसरो को सतायो।
🔥 धर्म का दुरुपयोग
दुर्भाग्य से, कुछ लोगों ने धर्म को हथियार बना लिया है —
धर्म के नाम पर हिंसा,
अंधविश्वास और कट्टरता,
और दूसरों पर अपनी मान्यता थोपना।
असल में समस्या धर्म में नहीं, बल्कि धर्म के नाम पर किए गए दुरुपयोग में है।
🌍 एक आदर्श समाज का सपना
कल्पना कीजिए: अगर हर व्यक्ति अपने धर्म की सच्ची सुंदरता को अपनाए, और किसी दूसरे धर्म को नीचा न दिखाए —
तो कैसा होगा वो समाज?
जहाँ हिंदू सेवा और अहिंसा पर जोर दे,
मुसलमान संयम और दया सिखाए,
बौद्ध शांति और ध्यान फैलाएं,
और जैन जीवों की रक्षा करें।
तब कोई भी धर्म दीवार नहीं बनेगा — बल्कि एक पुल बनेगा जो दिलों को जोड़ेगा।
✅ धर्म को न मानना एक विकल्प हो सकता है, लेकिन धर्म को सही तरीके से मानना — एक जीवनशैली है।जो लोग धर्म की सच्ची शिक्षा को अपनाते हैं, वे कभी नफरत नहीं फैलाते, बल्कि समाज में प्रेम, शांति और समानता का दीप जलाते हैं।धर्म का सार यह नहीं कि हम किसको पूजते हैं, बल्कि यह है कि हम इंसानों से कैसा व्यवहार करते हैं।
👉 इसलिए, आइए — धर्म को अपने विवेक और करुणा से जोड़ें, न कि अंधविश्वास और द्वेष से।
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